गाजीपुर से डी पंडित की रिपोर्ट
जरायम की दुनिया का नामचीन मुख्तार अंसारी बसपा सुप्रीमो मायावती तो कभी समाजवाद का पाठ पढ़ाने वाले मुलायम सिंह यादव का भी दुलारा रहा।
माफिया मुख्तार अंसारी 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टीकट पर चुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा में 'माननियों' के साथ सदन में पहुंचा था। इसके बाद साल 2002, 2007, 2012 और 2017 में मऊ सीट से विधान सभा का चुनाव जीत कर सदन में पहुंचा।
पांच बार से विधायक और 12 साल से जेल में
भारतीय लोकतंत्र की इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि कोई जन प्रतिनिध एक ही विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांच बार से विधायक चुना जाता रहा और 12 साल से वह जेल में है । यह सोचने की बात है कि हम कैसे जन प्रतिनिधि को चुन रहे हैं। जब पेड़ ही बबुल का बोएंगे तो आम की अपेक्षा कैसे रख सकते है। हम बात कर रहे हैं माफिया मुख्तार अंसारी की। मुख्तार अंसारी अपना आखिरी तीन चुनाव प्रदेश के विभिन जेलों में रहते हुए जीता था।
बाराचवर में किया था निशानेबाजी का मुजाहरा
मुख्तार अंसारी ने अपने पैतृक घर मोहम्मदाबाद से करीब 12 किमी दूर स्थित बाराचवर गांव में भी अपने निशने बाजी की नुमाईश किया था। यह दौर था 1993-94 का। तब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी । और इसी सरकार में विधायक थे इश्तियाक अंसारी। उस समय मुख्तार राजनीति में आने की जुगत लगा रहे था। हलांकि मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी पहले से ही सियासत में थे।
बारचवर के रहने वाले इसी इश्तियाक अंसारी के बुलावे पर मुख्तार अंसारी अपने गुर्गों के साथ बारचवर पहुंचे थे। मुख्तार के स्वागत में गांव के मुख्य सड़के के दोनों तरफ खड़ थे। इन्हीं लोगों की भीड़ में मुख्तार अपनी दो नाली बंदुक से पहले फायर कर नीम डाल पर बैठे कौवों उड़ाया और उड़ते हुए कौवों पर निशाना साध यह बताने की कोशिश की कि उसका निशाना अचूक है। कहा तो यह भी जाता है कि बसपा से मुख्तार को टिकट दिलाने में इश्तियाक अंसारी ने अहम भूमिका निभाई थी।
गाजीपुर में जातीय समीकरण
गाजीपुर को राजनीतक नजरिए से देखा जाए तो गाजीपुर में एक लाख से अधिक भूमिहार हैं। और मुस्लिम वोटर 8 से 10 प्रतिशत हैं। ऐसे में मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी का कहना है कि हम केवल मुस्लमानों के वोट से ही चुनाव नहीं जीतते हमें। हिंदुओं का वोट भी मिलता है। मुख्तार के गैंग में भुमिहार, राजपूत और ब्राह्ण भी शामिल है।
27 महीने, 54 तारीख, पेशी एक पर भी नहीं
अपने आप में यह भी एक चौकाने वाला तथ्य है कि पंजाब की रोपड़ जेल में बीमारी का बना बना कर रह रहे मुख्तार अंसारी करीब 27 महीने रहा। इन 27 महीनों में उत्तर प्रदेश के विभिन्न अदालतों में 54 तारीखें पड़ीं, लेकिन मुख्तार एक भी तारीख पर अदालत में पेश नहीं हुआ। हलांकि अब मुख्तार अपने पुराने ठिकाने उत्तर प्रदेश की बांदा जेल पहुंच चुका है और उसकी पेशी भी शुरू हो चुकी है।
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