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65 किलो सोने के पतरों से चमक रहा पंजाब का यह मंदिर, नाम है durgiana mandir



प्रियांशू 

 वैसे तो अमृतसर की पहचान स्वर्ण मंदिर (Golden Tempal) और जलियांवाला बाग के रूप में हैं,   लेकिन सिख धर्म की काशी कही जाने वाली इस नगरी में एक मंदिर और जो Golden Tempal तो नहीं   पर Golden Tempal आभास जरूर करता है।  Golden Tempal की तरह ही इस मंदिर पर भी सोने   के  पतरे लगे हुए हैं। हम बात कर रहे हैं दुर्ग्याणा मंदिर की।  प्रभात के समय जब लालिमा लिए सूर्य   की किरणें इस मंदिर के स्वर्णजडित शिखर से टकराती हैं तो इससे उठने वाला प्रतिबिंब इस मंदिर के   सरोवर के नीले जल में पर्यटकों को एक सुखद अनुभुति कराती है। 

दुर्ग्याणा मंदिर जिसे स्थानीय लोग शीतला मंदिर भी कहते हैं, अमृतसर रेलवे स्टेश के पिछले द्वार से करीब एक किमी दूरी पर स्थित है।  यहां पर्यटक कभी भी किसी भी समय पहुंच सकते हैं। 

अयोध्या, काशी और मथुरा की ही तरह यहां 800 से अधिक मंदिर और गुरुद्वारे हैं।  दुर्ग्याणा मंदिर मुख्य रूप से भगवान लक्ष्मी नारायण को समर्पित है।  वैसे यहां अन्य देवी देवताओं के भी विग्रह हैं। यही नहीं यहां छोटे-छोटे कई मंदिरों के युग्म हैं, जो देखते ही बनते हैं। 

पं: मदन मोहन मालवीय ने  1925 में रखी थी आधारशिला



542 फुट लंबे और 528 फुट चौड़े तालाब के मध्य बने इस मंदिर की आधारशिला काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1925 में गंगा दशहरा के दिन  रखी थी। करीब एक साल की अथक मेहनत के बाद यह मंदिर भव्य रूप से बन कर तैयार हुआ। रात को चांद की दूधिया रोशनी में मंदिर की विलक्षण आभा देखते ही बनती है।   कहा जाता है कि 'दुर्ग्याणा' शब्द का स्रोत मां भगवती दुर्गा का नाम है, जिसपर इस मंदिर का नामकरण किया गया। 

65 किलो सोने से चमक रहा है मंदिर का शिखर



दुर्ग्याणा मंदिर के गर्भगृह के मुख्य शिखर और दीवारों पर करीब 65 किलो सोने के पतरे चढ़ाए गए हैं।  मंदिर कमेटी के प्रबंधकों का कहना है कि मंदिर पर जड़ा गया सोना भक्तों का दिया हुआ है और कुछ मंदिर कमेटी ने दिया है। प्रबंधकों ने बताया कि इन सोनों के पतरों को वाराणसी से आए कारिगरों में आकार दिया है। 

250 किलो चांदी से दमक रहे हैं मंदिर के कपाट



मंदिर प्रबंधकों के अनुसार दुर्ग्याणा मंदिर में लगाए गए कपटों पर कुल 250 किलो के चांदी पतरे लगाए गए हैं।  चांदी के पतरे लगे मंदिर के दरवाजों पर विभन्न देवी-देवताओं की आकृतियों के अलावा यक्ष और गंधर्व बनाए गए हैं।  जो मंदिर की खूब सूरती में चार चांद लगाते हैं।  प्रबंधक कमेटी के अनुसार यह चांदी भी भक्तों के सहयोग से ही दरवाजों पर जड़ित की गई है।  इस मंदिर के अलावा शिवाला बागभाइयां भी दर्शनीय है। इस मंदिर के शिखर पर भी सोने के पतरे चढ़ाए गए हैं। 

प्रस्तुति - प्रियांशू 




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