1857 की क्रांति के करीब २२ साल बाद अंग्रेजों ने बलिया को गाजीपुर से अलग कर 1879 बलिया को नया जिला बना दिया
गाजीपुर में लगभग सौ साल की हुकूमत के बाद अंग्रेजों के खिलाफ बिद्रोह की चिंगारी फूटने लगी थी। ऐसे में इसे दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने धड़ाधड़ थानों का निर्माण शुरू किया। मोहम्मदाबाद तहसील के अंतर्गत करीमुद्दीन थाने का निर्माण सन 1902 में किया। उस समय दो बिघा आठ बिसवा 16 धुर में बने इस थाने के निर्माण में कुल 5754 रुपये खर्च आया था। अंग्रेजों की गजेटियर के मुताबिक इस रकम से हवालात, सिपाहियों के लिए बैरक, पुलिस स्टेशन ऑफिस, एएसआई क्वार्टर, शौचालय और घोड़ों के अस्तबल का निर्माण कराया गया था। अंग्रेजों का बनाया यह थाना, हवालात और बैरक आज भी वैसे ही हैं जैसे अंग्रेजों के जमाने में हुआ करते थे।
1913 में बना नरही थाना
1857 की क्रांति के करीब २२ साल बाद अंग्रेजों ने बलिया को गाजीपुर से अलग कर 1879 बलिया को नया जिला बना दिया। बलिया के जिला बनने के करीब 34 साल बाद अंग्रेजों ने बलिया-बक्सर मार्ग पर 1913 में नरही थाने का निर्माण किया। बक्सर से करीब 17 किमी और बलिया से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित नरही थाना तब अंग्रेजों का बेस कैंप हुआ करता था। एक एकड़ 16 ढिसमिल में बने इस थाने में आज भी फरियादी आते हैं। गजेटियार के मुताबकि तब गोरी हुकूमत बक्सर और बलिया जिले के आसपास के क्षेत्रों पर यही से नजर रखती थी। थाना प्रभारी ज्ञानेंद्र मिश्र ने बताया कि थाने का निर्माण करते समय अंग्रेजों ने टाइप वन के 10 कमरे, सिपाहियों के लिए दो बैरक, स्नानागार और घोड़ों के लिए दो अस्तबल बनवाए थे। अस्तबल को छोड़ अंग्रेजों की बनवाई ये सभी इमारतें आज भी सुरक्षित है और इसी इमारत में थाना चलता है।
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