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आज उन्ही खाली बसो मै मिली एक युवक की लाश, आस पास के लोगो मै फैली सनसनी

 
आज उन्ही खाली बसो मै मिली एक युवक की लाश, आस पास के लोगो मै फैली सनसनी

स्कूल बसे बनी नशे का अड्डा खानआलमपूरा के  तकिया मैदान खाली खड़ी स्कूल बसे बाँट रही है मौत छेत्र वासियो के बस मालिको को बसो मै नाश खोरी के बारे मै कई बार किया गया सूचित  मालिक फिर भी रहे अंजान                                     .                              

थाना जनकपुरी क्षेत्र में खानआलमपुरा  तकिया के पास खाली मैदान में खड़ी स्कूल बस नं UP91 T 2301  में सड़ी गली अवस्था में एक शव बॉडी मिला जिसकी पहचान मनोज उर्फ पहाड़ी पुत्र भीम सिंह निवासी धर्म कांटे के पास, पुल के नीचे थाना जनकपुरी उम्र लगभग 19 वर्ष के रूप में हुई। यह एक नशेड़ी  किस्म का युवक  था जो थाना जनकपुरी से पूर्व में नसे और चोरी के मामलो में तीन बार जेल जा चुका था। 

नशे के कारण मृत्यु सम्भावित है फिर भी मृत्यु का सही कारण जानने के लिए थाना जनकपुरी पुलिस ने शव  को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है मृतक मनोज के परिजनों में कोहराम मच गया दूसरी तरफ तकिए मै खाली स्कूल बसे बना हुआ हैं नसेडियो का अड्डा जिससे छेत्र के नई उम्र के युवकों मै भी नशे की लत बढ़ती दिखाई दे रही हैं ।क्या इन खाली खड़ी स्कूल बसों के मालिको की ज़िम्मेदारी नहीं हैं कि बसों के अंदर क्या गतिविधियां हो रही है उनपर नज़र रखे ?

 इस बारे में जब बस स्वामी विनय आहूजा से पूछा गया तो वो कोई संतुष्ट जवाब नहीं दे पाए लेकिन छेत्र वासियो का कहना है कि कई बार बस के मालिकों को बसो में हो रहे नशा खोरी के बारे मै सूचित किया गया लेकिन बस स्वामियों के कान में जु तक नही रेंगी जिसका खामियाजा एक अलभग 19 साल के नव युवक की नशे के कारण मौत के रूप मै देखने को मिला ।

कभी यह तकिया मैदान खेल कूद के काम आया करता था जिसमे खेलकर कई युवा क्रिकेट रणजी ट्राफी तक मै पहुच पाये जिससे लोगो की सेहत भी ठीक रहती थी और आस पास का वातावरण भी स्वछ रहता था लेकिन जबसे यहा ये बसे खड़ी होने लगी यहाँ नशे का अड्डा बन गया है। 

जिसका प्रमाण आज सबके सामने है खानआलमपूरा जनक नगर छेत्र वासियो ने मिडिया के माध्यम से पुलिस प्रशाशन व छेत्रिय पार्षद पति आसिफ अंसारी से तकिया मैदान से बसो को हटवाने की भी अपील की ताकि यहाँ नशा खोरी बंद हो सक़े और आने वाली पीढ़ी को फिर से ये मैदान मौत की जगह जिंदगी बाँटने के काम आ सके                 *                                                रिपोर्ट एम ज़ाहिद अंसारी

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