Pitri Paksha, पितृ पक्ष में भूल कर भी न करें ये काम, नहीं तो...
पितृ पक्ष Pitri Paksha यानी श्राद्ध शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार 15 दिनों का यह पितृ पक्ष आरंभ हो चुका है। पितृ पक्ष के इन 15 दिनों में पूर्वजों की दिवंगत आत्मा की शांति के लिए धर्म-कर्म और पिंड दान किए जाते हैं।
पितरों की आत्मिक शांति के गंगा किनारे या तालाब के किनारे दिवंगत आत्माओं के की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इस कर्म को पितरों के निमित श्राद्ध करर्म किया जाता है। इस लिए पितृ पक्ष में किए जाने वाले इस कर्म को श्राद्ध कहा जाता है और 15 दिन के इस पक्ष को पितृ पक्ष (Shradh Paksha) भी कहा जाता है।
लेकिन इन 15 दिनों के पितृ पक्ष में कुछ नियमों को मानना पड़ता है नहीं तो पितर नारज हो जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर धरती लोक पर आते हैं और अपने वंशजों की ओर से किए गए तर्पण और श्राद्ध से वे जल और भोजन ग्रहण करते हैं और प्रसन्न होते हैं और आमावश्या यानि पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक को चले जाते हैं।
इसीलिए श्राद्ध पक्ष को पितरों द्वारा किए गए उपकारों का कर्ज चुकाने वाला पक्ष भी कहा जाता है। कहा जाता है इन्हीं पितृ पक्ष में पुत्र अपने माता-पिता के ऋण से मुक्त होता है। हमें पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए कोई भी काम पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए। क्योंकि पितृ खुश होते हैं तो वह अपने बच्चों को आशीर्वाद देकर गो लोक को लौटते हैं। लेकिन अगर पितर नाराज हो जाएं, तो परिवार पर कई तरह के संकट आ सकते हैं। इस लिए पितृ पक्ष में भूल कर भी कोई गलती न करें'
पितृ पक्ष में न भूल कर भी न करें ये काम
पितृ पक्ष में मांसाहारी भोजन से दूर रहे, मदिरा आदि का सेवन न करें। सात्विक रहें और साकाहारी भोजन करें।
मान्यता है कि पितृ पक्ष में बाल और नाखून भी नहीं काटे जाते हैं। अत: घर का जो सदस्य पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करता है उसे इन श्रद्ध के इन 15 दिनों के बीच अपने बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। पूरी तरह से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए।
शह भी मान्यता है सूरज डूबने के बाद यानी सूर्यास्त के बाद भूल कर भी श्राद्ध न करें। जब भी श्राद्ध करें तो सुबह से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक कर दें। श्राद्ध के लिए यह समय काफी शुभ माना जाता है
पितृ पक्ष में जरूरतमंदों की सेवा करें। उन्हें आर्थिक रूप से मदद करें, भोजन कराएं। घर के बुजुर्ग, जरूरतमंद, पशु- पक्षियों को भूल कर भी न सताएं। यदि दरवाजे पर कोई भिक्षा मांगने आ जाए तो उसे न लौटाएं। नहीं तो पितर नाराज हो सकते हैं।
श्राद्ध के इन 15 दिनों में ब्राह्मण को भोजन कराएं। पितृ पक्ष में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय उन्हें पत्तल में भोजन परोसें। कांच, धातु या प्लास्टिक के बर्तनों में भोजन न करवाएं।
इसके अलावा इन 15 दिनों के पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य न करें। जैसे शादी-व्याह, सगाई, मुंडन, उपनयन, यज्ञोपवित या कोई नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
पितृ पक्ष में गाय, कौवों, कुत्तों और पंक्षियों को भोजन करवाएं। सभी के साथ मित्रवत व्यवहार करें, कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे दूसरों को कष्ट हो। नहीं तो पितर कुपित हो सकते हैं।
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