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दुल्हनों की डोली रोक लेता था राजा गंधर्व, जानने के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी

दुल्हनों की डोली रोक लेता था राजा गंधर्व, जानने के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी


रजनीश मिश्र, गाजीपुर ।  वैसे तो गाजीपुर की धरती में कई तहर के इतिहास दफन हैं।  कुछ स्याह, कुछ धुंधले तो कुछ स्वर्णिम।  इनमें इतिहास के कुछ पन्ने लोग पलटते हैं तो कुछ आज भी इतिहास के इन पन्नों में दर्ज होने की प्रतिक्षा सदियों से कर रहे हैं।   इन्हीं में से एक है राजा सुजान सिंह गंधर्व की कहानी। 

 यह कहानी जुड़ी है जिला मुख्यालस से करीब 50 किलोमीटर दूर विकास खंड बाराचवर के गंधपा गांव से।   यहां स्थित टिले को लोग राजा सुजान सिंह गंधर्व की गढ़ी के रूप में जानते हैं।  इस गढ़ी का इतिहास करीब 1000 साल से भी पुराना है।  इस बात की तस्दीक यहां विखरी खंडित मूर्तियों और भवनों के अवशेष करते हैं।   गंधपा  के लोग सदियां गुजर जाने के बाद भी सुजान सिंह के अत्याचार को नहीं भूले हैं।  वे कहते हैं कि यह टिला आज भी  गांव के लिए अभिशप्त धरोहर है। 

कौन था सुजान सिंह गंधर्व, जिसके अत्याचार की दास्तान आज भी सुनाते हैं लोग

सुजान सिंह का नाम लेते ही गांव के बुजुर्ग आक्रोशित हो उठते हैं।   85 वर्षीय जयंति तिवारी और शिवधन बिंद बताते हैं कि सुजान सिंह के शासन में जब किसी की दुल्हन की डोली गंधपा में प्रवेश करती थी थी तो वह एक रात के लिए उस दुल्हन को अपने महल में रख कर उससे अपनी हवस मिटा था।  वह इतना अत्याचारी था कि अगर कोई इसका विरोध रकता था तो वह उसे मौत नींद सुला देता था।  सुजान सिंह के अत्याचार से उसके राज्य की जनता त्रस्त थी।  हलांकि सुजान सिंह गंधर्व के मंत्री पं. श्यान जी तिवारी उसे हर बार सचेत करते थे कि अपने राजा के प्रति लोगों में आक्रोश पैदा हो रहा है, लेकिन अय्यास राजा इसे हंस कर टाल देता था। 

.इतना बड़ा छल कि समझ नहीं पाए मंत्री 

सुजान सिंह के अत्याचारों से तंग राज्य के लोगों ने राजा की हत्या का षड्यंत्र रचा।  इस बात की भनक सुजान सिंह लग गई।  पं:  जयंति तिवारी कहते हैं  हमने अपने पुरखों से सुना है।  भादों का महिना था ।  गढ़ी (किले) के चारों तरफ खोदी गई खाई पानी लबालब भरा हुआ था।  अमावस की रात थी।  पानी बरस रहा था, बिजली कड़क रही थी, यानि कुला मिला कर रात भयावह थी।  इसी रात राजा सुजान सिंह गंधर्व अपने मंत्री श्यान जी को यह कह कर अपने पलंग पर सुला कर पत्नी के साथ सुरंग के रास्ते भाग निकला कि वह किसी गुप्त मीशन पर जा रहा है। इसकी खबर किसी को न हो। इसलिए उसके आने तक छद्य वेष में राजा बन कर इस रात उसके पलंग पर सोएं।  

शिवधन बिंद के अनुसार सुजान सिंह के षड्यंत्र से बेखबर मंत्री श्यान जी सुजान सिंह के पलंग पर सो चादर तान कर सो गए। इधर, पहले से ही महल में घुसपैठ कर बैठे षड्यंत्रकारी मंत्री श्यान जी तिवारी को ही सुजान सिंह गंधर्व समझ बैठे और तलवार के एक ही झटके में श्यान जी तिवारी की गदर्न धड़ से अलग दी। 

11 बिघे में बना था किला, चारों तरफ खुदी थी खाई

गंधपा गांव में जहां राजा सुजान सिंह गंधर्व का कही सुरक्षित किला हुआ करता था। वहां आज मिट्टी का टिला और उसपर उगी हुई घास और झाड़ियां जमींदोज हुए किले की अवशेषों तक की ढंक कर रख दिया है। यानि सुजान सिंह की कोई भी निशानी आपको देखने को नहीं मिलेगी।  गांव के बड़े-बुर्जुग बताते हैं कि यह किला 11 बिघे में फैला हुआ था।  इस किले के चारों तरफ खाई खुदी हुई थी, जिसके अवशेष आज भी तालाब के रूप में दिखाई देते हैं जो टिले के चारों तरफ हैं।  लोगों का कहना है कि इस किले की ऊचाई इतनी अधिक थी कि यहां से करीब 40 किमी दूर गंगा पार बिहार के बक्सर के किले पर टिमटीमाते दीप रात को दिखाई देते थे।  गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने अपने पुरखों से सुन रखा था कि राजा इतना बिलासी था कि वह अपने महल से कभी बाहर नहीं निकलता था। 

पुरातत्व विभाग करवाए खुदाई तो मिल सकती हैं मुहरें, तलवारें और महल के अवशेष

शिवधन बिंद का कहना है कि आज जो गंधपा गाव बसा है उसे राजा गंधर्व ने बसाया था।  जो कालांतर में अपभ्रंश हो कर गंधर्वपुर  से गंधपा हो गया।  शिवधन का कहना है कि ग्राम प्रधान को चाहिए कि वह गाजीपुर जिले डीएम और मुहम्म्दाबाद के एसडीएम से मिल कर इस टिले की पुरातत्व विभाग से खुदाई करवाएं।  यदि पुरातत्व विभाग खुदाई करवाता है तो यहां से राजा गंधर्व के महलों के अवशेष, मुहरें और तलवारें आदि मिल सकती हैं जो पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। वैसे लोग इस किले पर अतिक्रमण करते जा रहे हैं। 

टिले के पास मौजूद  कुआं और ब्रह्मस्थान

जयंति तिवारी खुद को पं: श्यान जी तिवारी का वंशज बाते हैं। वे कहते हैं- किले एक छोर पर बना हुआ जो ब्रह्म स्थान बना हुआ है व राजा सुजान सिंह के मंत्री श्यान जी तिवारी का है।  इस गढ़ी का इतिहास बताते हुए जयंति तिवारी रो पड़ते है।  कहते हैं राजा सुजान सिंह के किले के इतिहास का एक छोर उनके पूर्वजों से भी जुड़ा हुआ है।  मंत्री की मौत और राजा के गढ़ी छोड़ कर भागने के बाद उसके वफादारों ने सुजान सिंह की अकूत संपत्ति और हथियारों को इस कुएं में डाल कर बंद करवा दिया।  

वे कहते हैं कि वे कहते हैं कि टिसे मिट्टी खोदने पर आज भी महल के अवशेष, हिंदू देवी देवताओं की मुर्तियों के अवशेष मिलते हैं।  जयंति तिवारी कहते हैं की गंधपा के इस किले से एक सुरंग निलती थी जो सीधे बक्स किले की तरफ जाती थी।     आज भी गंधपा गांव मे अपने अतीत को समेटे हुए टीले की मिट्टी से दबा हुआ सुर्खी चूने से बना किले की छत और दिवारें दिखाई देती हैं। टिले के बारे में यह जनश्रुतियां, किंबदंतियां हकीकत है या फसरान यह तो पुरातत्व विभाग खुदाई करवाए तभी पता चल सकता है।

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