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कभी मुख्तार के लिए गाजीपुर जेल में पाली जाती थी मछलियां

कभी मुख्तार के लिए गाजीपुर जेल में पाली जाती थी मछलियां


गाजीपुर से डी पंडित की रिपोर्ट

एक जमाना था जब जब गाजीपुर की जिला जेल मुख्तार अंसारी के लिए उनके मोहम्मदाबाद स्थित फाटक (घर) से  कम नहीं था।  इस जेल में वह सभी चीजें मुख्तार को बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती थीं, जिसकी उसे जरूरत होती।  यह दौर था साल 2004-5 का।  उस समय मऊ में दंगा भड़काने का आरोप लगने के बाद मुख्तार ने गाजीपुर में पुलिस के सामने सरेंडर किया था और उसे कोर्ट के आदेश पर जिला जेल भेज दिया गया था।  

   गाजीपुर की इसी जिला जेल में तालाब खोद कर मुख्तार के लिए जेल प्रशासन मछलियां पालता था।  यह जाहिर सी बात है, कि जेल प्रशासन बिना की किसी उच्चाधिकारियों और राजनेताओं की साठगांठ के नहीं कर सकता।  मुख्तार के रुबता का आंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्तार को जब भी जिला जेल से पेशी पर अदालत ले जाया जाता था तो बंदी रक्षक हो या गाजीपुर की पुलिस के जवान उसके साथ तस्वीर खिंचवाकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते थे। 

इस बात को खुद  उत्तर प्रदेश के तत्कालीन आईजी, कानून व्यवस्था (Low & order) बृजलाल मामते हैं।  वह कहते हैं कि गाजीपुर जिला जेल में मुख्तार का रुतबा इतना था की हर शाम जेल में ही मुख्तार का दरबार सजता था।   यही नहीं गाजीपुर के आला अधिकारी मुख्तार के साथ बैडमिंटन खेलने गाजीपुर के जिला कारागार जाया करते थे।  वो कहते हैं कि यह बात गाजीपुर जेल में अचानक हुई छापामरी में सामने आई थी।  जेल में ही तालाब खोदा गया था, जिसे प्रशासन ने भरवा दिया था। 

गाजीपुर जेल से मुख्तार की शिफ्टिंग और कृष्णा नंद राय की हत्या

कहा जाता है कि नवंबर 2005 में भाजपा विधायक कृष्णा नंद राय की हत्या की साजिश मुख्तार ने गाजीपुर जेल में रहते हुए ही रची थी।  जानकारों का कहना है कि उस समय मुख्तार गाजीपुर की जिला जेल में ही था।  लेकिन, कृष्णानंद राय की हत्या से एक माह पहले अप्रत्याशित रूप से उसे गाजीपुर जेल से जिला जेल फतेहगढ़ शिफ्ट कर दिया गया।  इसके करीब एक माह बाद कृष्णानंद राय की गोलिया मार कर हत्या कर दी गई।  मुख्तार पर आरोप लगा उसने मोहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की राजिश का पूरा तानाबाना गाजीपुर जेल में रहते हुए ही बुना था।  

मुख्तार का खौफ, कांपता था पुलिस महकमा 

राजनीतिक रसूख में बढ़े मुख्तार के रसूख का आंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2004 में यूपी एटीएस के डिप्टी एसपी शैलेंद्र कुमार सिंह ने सेना के भगोड़े से एलएमजी बरामद कर।  एलएमजी का सौदा करने के आरोप में मुख्तार पर पोटा एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू कर दी।  मुख्तार पर पोटा लगत ही उस समय की तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार में भूचाल आ गया था। 

 मुलायम को भी मुख्तार इतना प्यारा था कि पोटा लगते ही समाजवादी पार्टी की सरकार ही शैलेंद्र सिंह के खिलाफत में उतर आई।  यही नहीं मुलाय सरकार के दबाव में पुलिस के आला अधिकारी भी शैलेंद्र सिंह को परेशान करने लगे थे।   बतौर शैलेंद्र सिंह - इस एलएमजी की डील मुख्तार से हुई थी।  इसका इस्तेमाल कृष्णा नंद राय की हत्या में होना था। 

राजभवन के सामने जेल अधीक्षक की हत्या

मुख्तार अंसारी पर लखनऊ राजभवन के सामने जेल अधीक्षक की हत्या का भी आरोप लगा।  राजभवन के ठीक सामने जेल अधीक्षक आरके तिवारी की गोलियां मार कर हत्या कर दी गई।  उस समय मुख्तार अंसारी लखनऊ जेल में ही बंद था।  जेल अधीक्षक तिवारी की हत्या की साजिश का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा था।  आरोप था कि मुख्तार के गुर्गों ने ही आरके तिवारी हत्या की थी। 

                                                                  क्रमश: 


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