रजनीश कुमार मिश्र, बाराचवर (गाजीपुर) : बाराचवर ब्लाक कितना पुराना है। शायद ही कीसी को पता हो, लेकिन ये तो सभी जानते हैं कि ब्लाक को बाराचवर लाने मे किस परिवार का और किसका अहम योगदान रहा। आज जो व्यक्ति ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी के लिए मैदान में हैं वह उसी परिवार के हैं जो करीब 72 साल पहले ब्लाक को बाराचवर लाने में अहम योगदान दिया।
उन्ही के प्रयासों से जिले में बाराचवर की पहचान बनी हैं। और लोग इसे ब्लाक स्तरीय गांव के रूप में जानते हैं। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्की स्व: राजनारायण सिंह थे, जिन्होंने ब्लाक के लिए अपनी जमीन तक दान कर दी थी। और सबसे अधिक 25 सालों तक निर्विरोध ब्लाक प्रथम ब्लाक प्रमुख बने रहने का गौरव भी इन्हीं के नाम है। यही नहीं उनके परिवार के किसी व्यक्ति ने करीब 30 साल बाद चुनाव मैदान में उतरा है। अब हम आप को बताते हैं की बाराचवर ब्लाक कब और किसने कितने मुश्किलों के साथ बनवाया।
सन् 19 52 में आया बाराचवर में ब्लाक
देश अभी हाल ही में ब्रिटिश शासन की गुलामी से आजाद हुआ था। उस समय ब्लाक का सारा कार्य करीमुद्दीनपुर में ही हो रहा था। क्योंकि उस समय अंग्रेज सरकार के सारे अधिकारी करीमुद्दीनपुर मे ही रह रहे थे। क्यों की उस दौरान करीमुद्दीनपुर में थाना भी था । जहां अंग्रेज अफसरों का आना जाना लगा रहता था। खैर देश तो 1947 में आजाद हो गया ।
सन् 1952 में ब्लाक बनाने का निर्णय लिया गया की ब्लाक भी करीमुद्दीनपुर में ही बनेगा । इस संबंध में जानकारी देते हुए 90 वर्षीय रिटायर शिक्षक रामचीज सिंह ने बताया की गांव के जागीरदार स्वर्गीय राजनारायण सिंह ने करीमुद्दीनपुर में ब्लाक बनने से रोक दिया और कहा की ब्लाक बाराचवर में ही बनेगा। उन्होंने बताया की करीमुद्दीनपुर के लोग चाह रहे थे की ब्लाक बाराचवर न बनकर करीमुद्दीनपुर में ही बने, लेकिन प्रथम ब्लाक प्रमुख स्वर्गीय राजनरायण सिंह ने ऐसा नहीं होने दिया।
सन् 19 52 में किराए के मकान में खुला ब्लाक का दफ्तर
रामचीज सिंह बताते हैं कि जब सन् 1952 में राजनरायण सिंह के द्वारा ब्लाक को बाराचवर लाया गया तो उस वक्त गांव के जानेमाने रईस नवजादिक सिंह के मकान में किराए पर ब्लाक का कार्यालय खोला गया। वहीं से ब्लाक के सारे काम काज किया जाने लगा। उन्होंने बताया की सन् 1955 में पहली बार बाराचवर ब्लाक के नाम पर प्रमुख का चुनाव कराया गया।
इस चुनाव में क्षेत्र के सारे लोगों ने सर्वसम्मति सें गांव के जागीरदार व ब्लाक को बाराचवर लाने में अहम भूमिका निभाने वाले राजनरायण सिंह को बाराचवर ब्लाक का पहला प्रमुख चुना। उन्होंने बताया की राजनरायण सिंह लगातार 25 बर्षों तक प्रमुख का चुनाव जीत गांव का नाम रौशन किया था। उन्होंने बताया की जब चौधरी चरण सिंह की सरकार हुई उस समय ब्लाकों को कम किया जाने लगा और बाराचवर ब्लाक को समाप्त कर कासिमाबाद से जोड़ दिया गया।
राजनरायण सिंह ने दो बीघा जमीन किया ब्लाक के नाम
बुजुर्ग ग्रामीण बताते है कि जब ब्लाक कासिमाबाद चला गया और पुनः सरकार द्वारा ब्लाकों को बढ़ाने का काम किया जाने लगा तब दोबारा करीमुद्दीनपुर के रसूखदार लोग ब्लाक को करीमुद्दीनपुर ले जाने के जुगत में लग गये। इधर, प्रथम प्रमुख राजनरायण सिंह ब्लाक को बाराचवर लाने का प्रयास करने लगे ।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार अधिकारियों ने कहा की जहां ब्लाक के लिए जमीन उपलब्ध होगी वहीं ब्लाक बनेगा। रामचीज सिंह ने बताया की उस वक्त करीमुद्दीनपुर में कही भी जमीन उपलब्ध नहीं था । ना ही किसी ने अपनी जमीन देना चाहा । तब राजनरायण सिंह ने अपनी दो बीघा जमीन ब्लाक के नाम कर दिया। और यहां सन् 1975 में ब्लाक का निर्माण किया गया।
1952 से 1983 तक लगातार रहे राजनरायण सिंह प्रमुख
एक जानकारी के मुताबिक सन् 1952 से 1983 तक गांव के जागीरदार राजनरायण सिंह ब्लाक प्रमुख के पद की गरिमा बढ़ाते रहे । यही नहीं गांव के लोगों ने बताया की इस गांव के विकास के लिए पूर्व प्रमुख स्वर्गीय राजनरायण सिंह हमेशा आगे आते रहे । ग्रामीणों के अनुसार राजनरायण सिंह ने पावरहाउस के लिए भी करीब तीन से चार बीघा जमीन दान कर दिया। रामचीज सिंह ने बताया की सन् 1983 के बाद प्रमुख जी ने राजनीति से संन्यास ले लिया।
सन् 1975-76 में हुआ भवन का निर्माण
ब्लाक के एनआरपी रविन्द्र जायसवाल ने बताया की ब्लाक के भवन का निर्माण सन् 1975-76 में हुआ। उस वक्त ब्लाक के प्रमुख राजनरायण सिंह ही थे। ब्लाक भवन की पूजा-अर्चना पं: राजकुमार मिश्र ने करवाई थी। उन्होंने बताया की उन्हीं के योगदान के वजह से आज बाराचवर में ब्लाक बना हुआ है। जो आज बाराचवर ब्लाक के नाम से जाना जाता है।
प्रथम प्रमुख राजनरायण सिंह के भतीजा ब्रजेंद्र सिंह 30 साल बदल लड़ रहे हैं ब्लाक प्रमुखी का चुनाव
वर्तमान में प्रमुख पद के लिए जो व्यक्ति मैदान में हैं वो किसी परिचय के मोहताज नहीं है। ये वही व्यक्ति हैं, जिनके पूर्वज करीब सत्तर साल पहले अपनी जमीन दे ब्लाक स्थापित कराया । उन्हीं के परिवार के व भाजपा वरिष्ठ नेता ब्रजेंद्र सिंह करीब तीस सालों बाद ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जिन्हें क्षेत्र के सभी दिग्गज नेताओ का समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। क्योंकि उस परिवार से ये आते हैं, जिन्हें प्रथम प्रमुख बनने का शौभाग्य मिला था। वहीं क्षेत्रीय जनता का कहना है की इन्हें निर्विरोध प्रमुख मान लेना चाहिए।
सन्1983 से 1995 तक रहे रामनाथ यादव प्रमुख
प्रथम प्रमुख राजनरायण सिंह के बाद प्रमुख का बात किया जाये तो रामनाथ यादव का नाम आता है। बृजेश सिंह ने बताया की पेशे से एक शिक्षक रामनाथ यादव सन् 1983,88 तक और फिर सन् 1988से 1995 तक प्रमुख के पद पर थे। ब्रजेश सिंह ने बताया की सन्1988 के बाद सात साल तक प्रमुख रामनाथ यादव बने हुए थे।
सन्1995 सें पांच प्रमुखों ने सम्भाला कमान
सन् 1995 से बात करें तो पांच लोगों ने प्रमुख पद पर काबिज हुए।इनमें सन्1995 में समान्य सीट से भगवान राम को प्रमुख पद के लिए निर्वाचित घोषित किया गया। सन्2000 में पुनः एक बार फिर रामनाथ यादव प्रमुख के पद पर काबिज हुए। इसके बाद सन्2005 में लवंग सिंह पत्नी जनार्दन सिंह को निर्वाचित घोषित किया गया । इसके उपरांत सन् 2010 से 2015 तक सावित्री यादव पत्नी काशीनाथ यादव व उसके बाद 2015 से अब प्रियंका सिंह पत्नी कौशल सिंह जिनका कार्यकाल नीयत तारीख तक रहा है।
अब तक के ब्लाक प्रमुख
स्व: राजनारायण सिंह 1952 से 1983 तक
स्व: रामनाथ यादव 1983 से 1995 तक
भगवान राम 1995 से 2000तक
स्व: रामनाथ यादस 2000 से 2005 तक
श्रीमति लवंग सिंह 2005 से 2010 तक
सावित्री यादव 2010 से 2015 तक
प्रियंका सिंह 2015 से वर्तमान
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