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पुरुष की सबसे भड़ी कठोर सचाई


एक पति के रूप में, एक बेटे के रूप में, एक भाई के रूप में आमतौर पर एक पुरुष को परिवार में हर किसी कि इच्छा पूरी करनी होती है और खुद की इच्छाओं को दफनाना पड़ता है। एक 27 वर्षीय महिला के पास विकल्प है घर पर ' रहने का और किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करने का जो उस अच्छी ज़िन्दगी दे सके, वहीं 27 वर्षीय ' एक बेरोजगार पुरुष को हर वक़्त सोचना पड़ता है।

 कि अपना आने वाला समय कैसे बदला जाए और शादी तो बेचारा भूल ही जाता है। कॉर्पोरेट कल्चर में मौजूद समानता के बावजूद आमतौर पर पुरुषों से अपने महिला समकक्षों कि तुलना में कठिन परिस्थितियों में काम करने की उम्मीद की जाती है। 

बारह घंटे काम करना, अपने परिवार के लिए दूसरे शहर, देश में काम के सिलसिले में भटकते फिरना, फिर भी पुरुषों को उनके _काम के लिए कोई मान्यता नहीं मिलती। यदि हम घर के कामों में हाथ बंटाते हैं तो समाज हमें जज करता है, यदि घर के कामों में हाथ नहीं बंटाते तो हमारी पत्नी हमें जज करती है, 

करें भी तो करें क्या? 

एक पिता का जन्मदिन आमतौर पर घर में किसी को याद नहीं रहता, और एक वहीं पिता सबके जन्मदिन पर सबको उपहार देता है, क्या उसे कोई हक नहीं? पुरुषों को सबसे कठिन परस्थितियों में _ भी अपने आंसुओं कि छुपाना पड़ता है ताकि दूसरे अपने सिर को उनके कंधे पर रख सकें। पुरुषों पर आरोप लगाकर उनके जीवन को बर्बाद करना बहुत आसान है, लेकिन पुरुष को समझना बहुत मुश्किल।


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